फिर से घरो में सिमटी हुई दुनिया में प्रशांत का मन दो कोरोना के बीच घूम रहा है। एक ओर कोरोना-वायरस जो फिर से भारत में आतंक मचा रहा है और दूसरा है कोरोना-बियर, जिसको पहली बार पीना उसके हाल में ही हुई गोवा ट्रिप के कई सारे आकर्षण का एक हिस्सा था।
लगातार आती हुई कोरोना वायरस के मामलों के बीच प्रशांत का मन उसे वर्तमान से ध्यान हटाने के लिए फिर से पूर्व की सुखद यादों में ले जा रहा है और इसी में वह अपने आप को मानसिक रूप से ही सही पर गोवा में समुद्र किनारे आराम करता हुआ पाता है। गोवा में हुई उसकी ट्रिप अब दूर की कोड़ी नज़र आती है। अभी हाल में दोबारा ऐसा घूमना असंभव सा लगता है पर वायरस का भी अपनी एक चाल है.. धीरे ही सही पर फिर से कम होगा... ऐसे समय में ऐसे ही चीज़े अच्छी होने के भरोसे के साथ इंसान जीता है। उसके पास और विकल्प ही क्या है।
गोवा की यादें प्रशांत को एक अलग ही आज़ादी की अहसास देती है। उसका गोवा जाना अनायास ही हुआ पर उसने कभी नही सोचा था कि घूमने और कुछ न करने का मज़ा उसे जो वहाँ मिला, वह शायद ही उसने पहले कभी महसूस किया था। और ऐसा मज़ा कि वह वहाँ फिर से जाने के लिए लालायित है। और अगली कोरोना-बियर पीना उसने तभी के लिए छोड़ा है।
अब कोरोना-वायरस के कारण घर में सिमटी दुनिया कि बात करें तो लगता है घर ही सब कामों का केंद्र हो गया है। आप घर में रहने के अलावा खुद वहीं काम भी कर रहे हो, बच्चो को पढ़ा भी रहे हो और कहीं बाहर भी नहीं जा रहे हो (वैसे अभी तो घर में रहने में ही सभी की भलाई है)।
इस सब विचारो के बीच में प्रशांत कोरोना या कोरोना में दूसरे ही कोरोना (बियर) में ही दांव लगा रहा है.. ताकि सब सामान्य हो और वह फिर गोवा जा पाएं।